Thursday, September 11, 2014


| निंदक जीवे जुगन जुग, काम हमारा होये ||
|| काम हमारा होये, बिन कोड़ी को चाकर ||
|| कमर बाँध के फिरे, करे तिन लोक उजागर || 
|| सुनके निंदक मर गया, पल्टु दिया है रोए ||
|| निंदक जीवे जुगन जुग, काम हमारा होये ||











|| हरे माधव दयाल की दया ||
|| हे द्‍यानंद स्वामी, अब तू हमें उबारो ||
|| जनम जनम से भटके आए, अब की बार उबारो ||
|| भाव सांचो सांची भगति, तू ही हमें द्रढ़ावो ||
|| शरण तेरी छूटे नाहिं, जग यह बैरी हो जाए ||
|| किरपा निधान किरपा करना, तू ही हमें उबारो ||
|| "दास ईश्वर" शरण आयो, तू अब हमें उबारो ||