|| हरे माधव दयाल की दया ||
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|| हे द्यानंद स्वामी, अब तू हमें उबारो || || जनम जनम से भटके आए, अब की बार उबारो || || भाव सांचो सांची भगति, तू ही हमें द्रढ़ावो || || शरण तेरी छूटे नाहिं, जग यह बैरी हो जाए || || किरपा निधान किरपा करना, तू ही हमें उबारो || || "दास ईश्वर" शरण आयो, तू अब हमें उबारो || |
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